Uttarakhand online news
नेरुल के रामलीला मैदान में आयोजित कौथिग महाकुंभ की नौवीं संध्या में उत्तराखंड प्रवासी संगीता डौंडियाल और किशन महिपाल के गीतों पर थिरके। इससे पूर्व मुख्यातिथि के रूप में उपस्थिति हुईं हंस फाउंडेशन की माता मंगला जी और भोले जी महाराज ने प्रवासियों को संबोधित किया। उन्होंने हंस फाउंडेशन के विजन-2020 का जिक्र करते हुए फाउंडेशन द्वारा उत्तराखंड में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी।कौथिग के मंच से माता मंगलाजी ने कहा कि आज खुशी होती है, जब देश विदेश में रह रहे प्रवासी गर्व से कहते हैं कि हम उत्तराखंडी हैं। कुछ सालों पहले तक लोग अपने गांव का नाम तक बताने से कतराते थे। आज उत्तरखंडी लोगों ने हर क्षेत्र में नाम कमाया है। कौथिग के समापन के एक दिन पूर्व की शाम जैसे-जैसे ढलने लगी कौथिग प्रांगण में प्रवासियों का रेला उमड़ पड़ा।
श्रोताओं से भरे पंडाल में उत्तराखंड की लोकप्रिय गायिका संगीता डौंडियाल जैसे ही मंच पर प्रस्तुति देने आईं श्रोताओं की करतल ध्वनि से नेरूल का आसमान गूंज उठा। संगीता ने पहले नंदा राजजात गीत हे भगवती नंदा…तेरी डोली सजी गे…से मां भगवती को नमन किया। अगली प्रस्तुति में जैसे ही डोल दमाऊं बजी गेन…गीत गाया तो कौथिग प्रांगण कुछ क्षणों के लिए मंडाल स्थल के रूप में परिवर्तित हो उठा। जिसे जहां जगह मिलीं, वहीं थिरकने लगा। इसके बाद संगीता ने कखड़ी झिल मा…लूण पिसी सिल मा…, है पंडो खेला पांसो…, मेरा बाजू रंगा बिचरी रंग दी दी मोल…रे मालू रे मालू…जैसे गीतों की झड़ी लगाकर कौथिग की नौवीं शाम नाम कर ली। सांस्कृतिक निर्देशक सुरेंद्र बिष्ट के डायरेक्शन में कौथिग की अन्य प्रस्तुतियों में गोविंद डिगारी ने भी एक से बढ़कर गीत प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी।