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कैलाशानंद बने ब्रह्मचारी; मकर संक्रांति के पर्व में राज्यपाल समेत कई संत महापुरुष के समक्ष किया पट्टाभिषेक

कैलाशानंद बने ब्रह्मचारी; मकर संक्रांति के पर्व में राज्यपाल समेत कई संत महापुरुष के समक्ष किया पट्टाभिषेक

श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी में आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि का आज पट्टाभिषेक हो गया है। पट्टाभिषेक समारोह में देशभर के संत महापुरुष शामिल हुए। इस दौरान महंत नरेंद्र गिरि समेत संतों ने कैलाशानंद गिरि का आचार्य महामंडलेश्वर पद पर अभिषेक कर उनका अखाड़े में स्वागत किया। बता दें कि संन्यास दीक्षा लेने के साथ ही कैलाशानंद ब्रह्मचारी अब संन्यासी बन गए हैं। अब उन्हें कैलाशानंद ब्रह्मचारी नहीं कैलाशानंद गिरि के नाम से जाना जाएगा।इस मौके पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत, कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक, कृषिमंत्री सुबोध उनियाल, दिल्ली भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी, आखडा परिषद के अध्य्क्ष नरेंद्र गिरी ,उत्तरप्रदेश के कैबिनेट मंत्री सुरेश पासी, कपिल देव, सुनील भराला, हरियाणा के कैबिनेट मंत्री मूलचंद शर्मा, भाजपा राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश, भाजपा प्रदेश संगठन मंत्री अजेय कुमार, प्रसिद्ध भजन गायिका अनुराधा पौडवाल, विधायक आदेश चौहान, सुरेश राठौर, स्वामी यतीश्वरानंद, ममता राकेश, हरिद्वार मेयर अनिता शर्मा, मेयर रुड़की गौरव गोयल, पूर्व विधायक अम्बरीष कुमार, वरिष्ठ कांग्रेस नेता ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी,पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी समेत सभी अखाड़ों के संत भी मौजूद रहे।

आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकांनद गिरि ने कहा कि आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म की पताका को देश दुनिया में फहराएंगे। उनके नेतृत्व में निरंजनी अखाड़ा धर्म व अध्यात्म के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित करेगा। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कहा कि अखाड़े के ईष्ट देव भगवान कार्तिकेय व सभी तेरह अखाड़ों के सानिध्य में स्वामी कैलाशानंद गिरि आचार्य महामंडलेश्वर पद पर विराजमान हो गए हैं। निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रामरतन गिरी ने बताया कि पट्टाभिषेक के लिए भव्य रूप से समारोह का आयोजन किया गया। महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि का कहना है कि संन्यास लेने के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि, महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि और श्रीपंचायती निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने उन्हें प्रेरणा दी। उन्होंने ही कहा था कि आपको आचार्य महामंडलेश्वर बनना है। उन्होंने कहा कि विद्वान व्यक्ति वही होता है, जिसमें सेवा का भाव हो। कैलाशानंद ने कहा कि वह 45वें वर्ष में प्रवेश कर गए हैं। अग्नि अखाड़े के बाद उनका जीवन श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े के लिए रहेगा। जब भी अग्नि अखाड़े को जरूरत होगी, वह हर सेवा के लिए तैयार रहेंगे।

 

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