Uttarakhand online news
केंद्र सरकार की ओर से लागू नए मोटर व्हीकल एक्ट ने वाहन मालिकों की परेशानी बढ़ा दी है। सबसे अधिक दिक्कत उन मालिकों को हो रही है जिनके पास न वाहन का प्रदूषण जांच संबंधी कागज है और न बीमा संबंधी कागजात हैं। अब आलम यह है कि प्रदूषण जांच को केंद्रों पर चार-चार घंटे क्रम में लगना पड़ रहा है। कई केंद्रों पर एक दिन पहले पंजीकरण कराना पड़ रहा है। परिवहन विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो दून की सड़कों पर प्रतिदिन करीब 20 लाख वाहन फर्राटा भरते हैं। इनमें से आधे से ज्यादा वाहन मालिकों के पास प्रदूषण जांच का प्रमाणपत्र ही नहीं है। नया मोटर व्हीकल एक्ट वजूद में आने पर वाहन मालिकों में अफरातफरी की स्थिति है। राजधानी में महज 19 जांच केंद्र हैं। ऐसे में प्रदूषण जांच को लेकर मारामारी मची हुई है। इस संबंध में एआरटीओ प्रशासन अरविंद पांडे का कहना है कि वाहन स्वामियों को घबराने की जरूरत नहीं है। अभी कोई अभियान नहीं चलाया जा रहा है। इस माह के अंत तक कागजात दुरुस्त करवा लें। उसके बाद विशेष जांच अभियान चलाया जाएगा। प्रदूषण कानून उल्लंघन कर परिवहन निगम की बसों का संचालन कराने पर अब एआरएएम समेत संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाएगी। प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने प्रदूषण जांच कराने के बाद ही बसों को सड़कों पर उतारने का आदेश जारी किया है। प्रबंध निदेशक के आदेश के अनुसार जांच के दौरान किसी भी बस का प्रदूषण, फिटनेस आदि कागजात नहीं पाए जाने पर सहायक महाप्रबंधकाें के साथ ही चालक सीधे जिम्मेदार होंगे। दूसरी ओर परिवहन निगम के ही आंकड़ों पर नजर डालें तो निगम के बेड़े में वर्तमान में 1350 बसें हैं। जो उत्तराखंड के अलावा विभिन्न राज्याें के लिए संचालित की जाती हैं। इनमें सैकड़ों बसों की प्रदूषण की जांच लंबे समय से नहीं कराई गई है। प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान का कहना है कि परिवहन निगम की ओर से संचालित बसों की प्रदूषण जांच के लिए देहरादून व हल्द्वानी समेत कई स्थानों पर जल्द ही प्रदूषण जांच केंद्र खोलने की तैयारी है। इस संबंध में मंडलीय प्रबंधकाें से रिपोर्ट मांगी जा रही है।