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खुद के उद्योग खोलने के लिए छोड़ी एमडिएच की नौकरी जानिए राज

खुद के उद्योग खोलने के लिए छोड़ी एमडिएच की नौकरी जानिए राज

उत्तराखंडके पिथौरागढ़ में थल दाफिला गांव के चंचल मेहरा (42) एक मिसाल हैं। गुरुग्राम में एमडीएच कंपनी की 16 वर्ष की नौकरी छोड़ चंचल ने खुद का मसाला उद्योग खड़ा कर दिया है। अपनी मेहनत और लगन के बूते उन्होंने दो वर्ष से कम समय में न केवल 15 महिलाओं को रोजगार दिया, बल्कि क्षेत्र के 417 किसानों को भी अपने साथ जोड़ा है।

उनके उद्योग में 26 किस्म के मसाले तैयार किए जा रहे हैं। चंचल ने एमडीएच कंपनी में 16 वर्षों तक मसाला ट्रेप की नौकरी की। इसके बाद उन्हें अपनी माटी की खुशबू वापस थल खींच लाई। पांच फरवरी 2018 को उन्होंने छोटे स्तर से मसाले का काम शुरू किया।

कार्य के प्रति उनकी लगन को देखते हुए छह अगस्त 2018 को जलागम ग्राम्या-दो परियोजना के उप निदेशक सीबी त्रिपाठी ने उन्हें मसाले का काम बड़े स्तर पर करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद चंचल ने हनुमानगढ़ी दाफिला में मसाला इकाई की स्थापना की। इसमें लक्ष्मी ब्रांड के मसाले तैयार किए जाते हैं। चंचल मेहरा बताते हैं कि शुरुआत में मसाले तैयार करने के लिए कच्चे माल की कमी हुई।

इसे देखते हुए उन्होंने अपनी पत्नी गृह उद्योग की उप संचालक हेमा मेहरा के साथ थल, नाचनी क्षेत्र के गांवों का भ्रमण किया और किसानों से बात की। वर्तमान में आसपास के दर्जनों गांवों के 417 किसान उनकी मसाला इकाई से जुड़े हैं।

लक्ष्मी गृह उद्योग के संचालक चंचल मेहरा के अनुसार मसालों में पर्वतीय जड़ीबूटी तिमूर, बड़ी और हरी इलायची, लौंग, मेथी दाना, काली मिर्च, पीपली, बादयान, जायफल, सौंठ, आंवला, तेजपत्ता, कड़ी पत्ता, कलोंजी, रतनजोत, अलसी का प्रयोग किया जाता है। उद्योग में रोजाना 80 किलो मसालों का उत्पादन कर पैकिंग की जाती है

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