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खंडूड़ी फंसे बेटा’ और  ‘चेला’ के  धर्मसंकट में

खंडूड़ी फंसे बेटा’ और ‘चेला’ के धर्मसंकट में

पूर्व मुख्यमंत्री और गढ़वाल सांसद भुवन चंद्र खंडूड़ी बडे़ सियासी धर्मसंकट में फंस सकते हैं। कांग्रेस गढ़वाल सीट पर उनके बेटे मनीष खंडूड़ी को उम्मीदवार बनाने का फैसला कर चुकी है। वहीं भाजपा की ओर से उनके राजनैतिक शिष्य तीरथ सिंह रावत को उम्मीदवार बनाए जाने की प्रबल संभावना है। ऐसे में उनके सामने यह असमंजस होगा कि बेटे को जिताने का प्रयास करें या ‘चेले’ की राह आसान करें। हालांकि खंडूड़ी साफ कर चुके हैं कि वे भाजपाई हैं और पार्टी कहेगी तो वे बेटे के खिलाफ प्रचार करेंगे।

खंडूड़ी के साथ मजबूती से खड़े रहे तीरथ : एक दौर में जब उत्तराखंड भाजपा, खंडूड़ी, निशंक और कोश्यारी गुटों में बंटी थी तो तीरथ सिंह मजबूती से खंडूड़ी के साथ खड़े रहे। जानकार यह भी कहते हैं कि खंडूड़ी ने अपने प्रतिद्वंद्वी सतपाल महाराज के सियासी असर को कम करने के लिए तीरथ सिंह को हमेशा आगे बढ़ाया। 2007 में जब खंडूड़ी मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने तीरथ को दैवीय आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति का अध्यक्ष बनाया। वर्ष 2013 में तीरथ को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाने में भी खंडूड़ी का अहम रोल रहा।

महाराज की ‘डील’ से कटा था टिकट : हालांकि 2017 के चुनाव में खंडूड़ी, तीरथ को चौबट्टाखाल से टिकट नहीं बचा पाए। कहा जाता है कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के साथ हुई सतपाल महाराज की डील के कारण तीरथ का टिकट काट दिया गया। मामला केंद्रीय नेतृत्व का था, इसलिए इस मामले में तीरथ के पैरोकारों की नहीं सुनी गई।

कौन बनेगा सियासी वारिस
अब खंडूड़ी के साथ धर्मसंकट यह है कि गढ़वाल सीट पर उनका सियासी वारिस बनने  के लिए दो ऐसे लोग मैदान में होंगे, जिनमें एक उनका बेटा और दूसरा राजनैतिक शिष्य। हालांकि वे साफ कह चुके हैं कि वह भाजपा में हैं और पार्टी कहेगी तो बेटे के खिलाफ प्रचार भी करेंगे। लेकिन जानकारों का मानना है कि यह आसान नहीं होगा कि, वह लोगों से अपने की बेटे को हराने की अपील करेंगे। यदि बेटे के साथ खड़े होते हैं तो इसे भाजपा के साथ-साथ, अपने करीबी तीरथ के साथ सियासी दगाबाजी माना जाएगा।

प्रचार से कर सकते हैं किनारा 
बहुत संभव है कि ऐसी स्थिति में भुवन चंद्र खंडूड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट पर चुनाव प्रचार से दूरी बना लें। यह भी  संभव है कि उनकी उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए पार्टी उन पर चुनाव प्रचार में उतरने के लिए दबाव नहीं डाले।

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