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केदारपुरी  में यात्री सुविधाएं पहले से कहीं अधिक बेहतर व  सुरक्षित

केदारपुरी में यात्री सुविधाएं पहले से कहीं अधिक बेहतर व सुरक्षित

आपदा के आठ वर्ष बाद केदारपुरी का नजारा पूरी तरह बदल चुका है। इस अंतराल में केदारपुरी जहां आपदा की दृष्टि से काफी सुरक्षित हो गई है, वहीं यात्री सुविधाएं भी पहले से कहीं अधिक बेहतर हुई हैं। आपदा के बाद शुरुआती दो वर्ष जरूर यात्रा फीकी रही, लेकिन बाद के वर्षों में उसने पुराने सभी रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। वर्ष 2019 में पहली बार दस लाख से अधिक यात्री केदारनाथ दर्शनों को पहुंचे। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत होने वाले कार्य भी अब अंतिम चरण में हैं।16-17 जून 2013 की तबाही के बाद यकीन नहीं हो पा रहा था कि निकट भविष्य में केदारनाथ यात्रा शुरू भी हो पाएगी। लेकिन, बीते आठ वर्षों में यात्रा ने जो गति पकड़ी, उससे सारी आशंकाएं निर्मूल साबित हुईं। खास बात यह कि आपदा के बाद केदारपुरी में सुविधाओं का तेजी से विकास हुआ। इससे देश-दुनिया में केदारनाथ यात्रा पूरी तरह सुरक्षित होने का संदेश भी गया।

आपदा में मंदाकिनी व सरस्वती नदी रुख मंदिर की ओर हो गया था। अब सरकार ने मंदिर के ठीक पीछे मंदकिनी व सरस्वती नदी पर 390 मीटर लंबी, 18 फीट ऊंची व दो फीट चौड़ी कंक्रीट की त्रिस्तरीय दीवार बनाई है। इसके अलावा मंदाकिनी व सरस्वती नदी पर सुरक्षा दीवार भी बनाई गई है। इससे भी धाम काफी सुरक्षित हो गया है।

आपदा में गौरीकुंड हाइवे रुद्रप्रयाग से गौरीकुंड तक कई स्थानों पर पूरी तरह बह गया था। अब इसे आलवेदर रोड के तहत बनाया जा रहा है। इसके लिए कङ्क्षटग का कार्य पूरा हो चुका है। केदारपुरी में यात्रियों के ठहरने को पर्याप्त व्यवस्थाएं जुटाई गई हैं। अब यहां सात हजार यात्री रह सकते हैं। केदारनाथ पैदल मार्ग भी पहले के मुकाबले काफी अच्छा एवं सुरक्षित हो गया है। इसके लिए तीन से चार मीटर चौड़े इस मार्ग पर रेलिंग लगाई गई हैं। मार्ग पर लिनचोली, छोटी लिनचोली, रुद्रा प्वाइंट समेत कई पड़ाव विकसित कर यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था की गई है।आपदा के बाद केदारनाथ के लिए हेली सेवा का क्रेज काफी बढ़ा है। इसी के मद्देनजर सरकार की ओर से हर साल हेली सेवा संचालित करने वाली 13 कंपनियों को उड़ान भरने की अनुमति दी जाती है। स्थिति यह है कि कुल यात्रा का दस से 15 फीसद यात्री हेली सेवा से केदारनाथ दर्शनों को पहुंचते हैं।

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