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कई बड़े फैसले लेने के लिए जाने जाएंगे त्रिवेंद्र

कई बड़े फैसले लेने के लिए जाने जाएंगे त्रिवेंद्र

उत्तराखंड  की राजनीति में अब नेतृत्व परिवर्तन का कोई खास मतलब नहीं रह गया है .ये राजनीतिक दलों के लिये एक खेल है जिसे वो जब चाहें खेल सकते है .लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लगभग चार साल के कार्यकाल में कई बड़े एतिहासिक फैसले लिए। इस बात में कोई दोराय नही की बिना संकोच और विरोध की परवाह किए बगैर उनमें फैसले की हिम्मत थी। जनभावनाओं के अनुरूप गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाकर त्रिवेंद्र ने सबको चौंकाया दिया था। इनके बहुत से ऐसे फैसले है जिनकी चर्चा  उत्तराखंड में गाहे बगाहे होती रहेगी .कांग्रेस से भाजपा में आये बडबोले मंत्रियों को भी त्रिवेंद्र ही साध पाये .उनकी सबसे बडी कामयाबी ये रही की उनके दामन पर किसी भी तरह का दाग नहीं लगा .

अपने कार्यकाल में त्रिवेंद्र कई बड़े फैसले लेने के लिए जाने जाएंगे। राज्य आंदोलनकारियों और लोगों की जनभावनाओं के अनुरूप उन्होंने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी का दर्जा दिया। इस फैसले के एक साल बाद चार मार्च 2021 को भराड़ीसैंण विधानसभा सत्र में गैरसैंण को कमिश्नरी बनाने की घोषणा की।

चारधाम यात्रा में तीर्थ यात्रियों की सुविधा और अवस्थापना विकास के लिए पहली बार त्रिवेंद्र रावत ने उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड का गठन किया। इसका काफी विरोध होने के साथ ही मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। देवस्थानम बोर्ड को लेकर फैसला त्रिवेंद्र सरकार के पक्ष में आया।

पहाड़ों से पलायन को रोकने के लिए पहली बार पलायन आयोग का गठन किया। राज्य में औद्योगिक निवेश बढ़ाने और रोजगार के नए अवसर सृजित करने के लिए वर्ष 2018 में पहला निवेशक सम्मेलन (इंवेस्टर्स समिट) आयोजित किया। महिलाओं को कृषि भूमि में सह खातेदार का हक दिलाया।स्वरोजगार शुरु करने के लिये कई योजनायें लागू की .

इसके साथ ही एनएच-74 में भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में करोड़ों की घोषणा की एसआईटी जांच कराने का फैसला लिया। पहाड़ की महिलाओं के कंधों से घास का बोझ कम करने के लिए घसियारी योजना का फैसला लिया। वहीं, प्रदेश में कर्मचारियों व अधिकारियों के तबादलों के लिए ट्रांसफर नीति लागू की है।

हां ये भी एक कड्वा सच है की त्रिवेंद्र ने जिन पर भरोसा किया उन्होंने केवल अपना हित साधा .लोगों व मीडिया की नाराजगी इन्हीं लोगों से थी .जब जब त्रिवेंद्र के खिलाफ षंड्यत्र करने की कोशिशें हुई इन तथाकथित मीडिया सलाहकारों की तरफ से एक भी खबर या बयान देने की जहमत तक नहीं उठाई गई .त्रिवेंद्र के शुभचिंतकों को तक उनसे मिलने का समय नहीं दिया गया .बहरहाल एक मुख्यमंत्री के रुप में लिये गये उनके फैसलों की चर्चा आज हर कोई कर रहा है .

 

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