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जम्मू-कश्मीर में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ मे शहीद हुये मेजर केतन शर्मा

जम्मू-कश्मीर में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच हुई मुठभेड़ मे शहीद हुये मेजर केतन शर्मा

मंगलवार को अनंतनाग में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच मुठभेड़ हुई सुरक्षाबलों के जवान शहीद हुए हैं. जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर आतंकवादियों से लड़ते हुए मेरठ के रहने वाले मेजर केतन शर्मा शहीद हो गए.

 

केतन शर्मा 29 साल के थे, केतन शर्मा कुछ ही दिन पहले ही छुट्टी काटकर वापस ड्यूटी पर लौटे थे और परिवार से वादा किया था कि जल्द ही वापस घर आएंगे, शहीद केतन शर्मा का पार्थिव शरीर मंगलवार को दिल्ली पहुंचेगा, जहां पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उन्हें श्रद्धांजलि देंगे. इसके बाद ही उनके पार्थिव शरीर को मेरठ ले जाया जाएगा. मेरठ कैंट इलाका है, ऐसे में सेना के वरिष्ठ अधिकारी और अफसर भी उनके अंतिम संस्कार में शामिल हो सकते हैं.

सोमवार को अनंतनाग के एकिंगम में आतंकियों के छिपे होने का इनपुट मिला था. इसके बाद सुरक्षाबलों ने सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया था. दोनों तरफ से फायरिंग हुई और इसी में मेजर केतन शर्मा शहीद हो गए. खबर सुनते ही उनके परिवार में शोक की लहर दौड़ पड़ी है, इतना ही नहीं मेरठ में भी गमगीन माहौल है.

तीन साल की बेटी भी गमगीन

केतन शर्मा की शादी पांच साल पहले ही हुई थी. उनके परिवार में माता-पिता के अलावा पत्नी इरा और एक तीन साल की बेटी काइरा है. पूरे परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है, तीन साल की बच्ची को अभी कुछ खबर ही नहीं है. 2012 में ही वह IMA देहरादून से सेना में लेफ्टिनेंट बने थे, जिसके बाद उनकी पहली पोस्टिंग पुणे में हुई थी. दो साल पहले ही उन्हें अनंतनाग भेजा गया था.

मेरठ की शान केतन शर्मा

केतन शर्मा को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी.मेरठ के कैंट इलाके के रहने वाले थे. मंगलवार जैसे ही उनकी शहादत की खबर आई तो सेना के बड़े अधिकारी, कैंट विधायक सत्यप्रकाश अग्रवाल समेत स्थानीय नेता उनके घर श्रद्धांजलि देने पहुंचे. योगी सरकार की ओर से उनके परिवार को 25 लाख रुपये की सहायता, एक सरकारी नौकरी और मेरठ में सड़क का नाम केतन शर्मा के ऊपर करने का ऐलान किया है. ना सिर्फ नेता बल्कि मेरठ के स्थानीय निवासी भी अपने हीरो को सलामी देने के लिए उनके घर पहुंच रहे हैं.

जम्मू-कश्मीर में बीते कुछ दिनों में लगातार मुठभेड़ हो रही हैं. उनसे कुछ ही दिन पहले अनंतनाग में हुए आतंकी हमले में पांच जवानों ने अपनी जान गंवाई थी. तो वहीं सुरक्षाबल भी आतंकियों को लगातार मौत के घाट उतार रहे हैं, जून तक करीब 100 आतंकियों को मारा जा चुका है.

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