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होली के समय पर परीक्षाओं ने बच्चों को कर रखा है परेशान;वसंत का महीना, यानी इम्तिहान का महीना

होली के समय पर परीक्षाओं ने बच्चों को कर रखा है परेशान;वसंत का महीना, यानी इम्तिहान का महीना

होली के समय पर परीक्षाओं ने बच्चों को परेशान कर रखा है। होली के अगले दिन स्कूलों में किसी न किसी का विषय का पेपर है। स्कूल वालों ने तो मासूमों को भी नहीं बख्शा। बताओ जी, नर्सरी व केजी के बच्चों का भी जानबूझकर होली के सीधे अगले दिन परीक्षा रख दी। किसी को भी नई कोंपले देखने की फुर्सत नहीं है। ऐ प्रकृति, तेरा समय गलत है। तू अपने बसंत का मौसम आगे पीछे शिफ्ट कर ले। किसी को भी रंग बिरंगे फूल देखने की फुर्सत नहीं है। छोटे-छोटे बच्चे जो इन दिनों बाजार में नई-नवेली पिचकारियां देखकर खरीदने की जिद करते थे, उनकी मम्मी उन्हें घर पर बैठा इम्तिहान की तैयारी करा रहीं। हर बार होली पर इम्तिहान के चलते स्कूलों में होली खेलने का ट्रेंड भी खत्म हो चला है। बच्चे भी यही कह रहे कि स्कूल वालों की चले तो हम होली ही न खेलें।

वसंत का महीना, यानी इम्तिहान का महीना। आयकर जमा करने, गुजिया और पापड़ समेत अबीर व गुलाल का महीना। आम के पेड़ पर बौर आने का महीना। ऐसे में अपने गुप्ता जी काफी परेशान दिख रहे। सुबह घर के बाहर कुर्सी पर बैठे हुए कुछ बुदबुदा रहे थे और श्रीमती गुप्ता व बच्चों पर यूं ही गुस्सा उतार रहे थे। मैने भी पूछ लिया कि मूड क्यों उखड़ा हुआ। गुप्ता जी बोले आयकर भरना है, होली भी सिर पर है, खोए भी महंगा हो गया। साले साहब के घर बच्चा हुआ था, उसका नामकरण भी इसी हफ्ते है। पत्नी साड़ी मांग रही है  बच्चों को नए कपड़े चाहिए। अभी तक आलू भी नहीं कटे, होली के चिप्स और पापड़ कब बनेंगे। परीक्षा समाप्त होते ही स्कूल वाले एक साथ तीन महीने की फीस झटक लेंगे। खर्चा ही खर्चा दिख रहा। कैसे होगा ये सब इंतजाम, समझ नहीं आ रहा है।

होली पर चाट और व्यंजनों के स्वाद में करीब 40 फीसद लोगों का पेट खराब हो जाता है। करीब 25 फीसद लोग इसलिए नहीं खाते कि पेट खराब न हो जाए। इसके अलावा करीब 15 फीसद ऐसे भी रहते हैं, जिन्हें अपनी पाचन शक्ति पर भरोसा रहता है, जो वाकई में सब पचा लेते हैं। बचे 20 फीसद लोग महंगाई की वजह से दाल या रोटी का ही इंतजाम कर पाते हैं। ये निजी कारणों से कही आ-जा भी नहीं पाते। खैर ये तो पेट की बात है, पेट खराब हुआ तब भी एकाध दिन में ठीक हो जाएगा, मगर होली थोड़ी एकाध दिन बाद आएगी। ये तो साल में एक बार ही आती है। कुछ लोग तो ऐसे हैं, जो अभी से उन दोस्तों को संपर्क करने में जुट गए हैं, जिनके यहाँ मुफ्त की शराब लुटती है। बड़ा रस है होली में, बस पुलिस वाले खलल न डालें।

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