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चैती मेला उत्तरभारत में बड़े ही आनंदोत्सव के साथ मनाया जाता है। इस ऐतिहासिक चैती मेले में लगने वाला नखासा मेला उत्तरी भारत का प्रमुख मेला है। इस मेले में कभी चंबल के डाकू अपनी पसंद का घोड़ा खरीदकर ले जाते थे। घोड़ा व्यापारियों के अनुसार इस मेले से सुल्ताना डाकू, डाकू मान सिंह के अलावा फूलन देवी भी घोड़े खरीद कर ले जाती थीं। बताया जाता है कि चैती मेला में नखासा मेला करीब चार सौ साल पहले रामपुर निवासी घोड़ों के बड़े व्यापारी हुसैन बख्श ने शुरू किया था।
चैती मेले में लगे नखासा बाजार में पुराने घोड़ा व्यापारियों में से एक रामपुर निवासी चौधरी शौकत अली भी हैं। पांच पीढ़ियों से घोड़ों का कारोबार चौधरी शौकत अली का परिवार कर रहा है। अब छठी पीढ़ी में उनके बेटे सलमान ने खानदानी कारोबार को संभाल लिया है। अपने पुत्र के साथ कारोबार में हाथ बंटाने नखासा मेला में आए चौधरी शौकत अली ने बताया कि 400 साल पहले यहां भगवती बाल सुंदरी का मेला नहीं लगता था। सिर्फ मंदिर में पूजा होती थी, करीब 150 साल से मेला लगने लगा है। तब उनके दादा के पिता हुसैन बख्श ने पंडाओं से मिल कर यहां नखासा बाजार शुरू किया था।