प्रदेश में तीन सौ प्रतिशत की दर से वाहनों की बढ़ती संख्या के चलते सरकार अब पार्किंग की समस्या का समाधान तलाश रही है। सरकार पर्यटक स्थलों और शहरी क्षेत्रों में पार्किंग स्थलों की संख्या बढ़ाने को पार्किंग पॉलिसी लाने जा रही है। पॉलिसी ड्राफ्ट आवास विभाग के स्तर से बन रहा है, जिसके तहत पार्किंग निर्माण के लिए तीन श्रेणियां तय की गई हैं। निजी पार्किंग निर्माण श्रेणी में कई तरह की रियायतें देने का प्रावधान रहेगा। इसे स्वरोजगार से भी जोड़ा गया है।
पार्किंग पॉलिसी में तीन श्रेणियां रखी गई हैं, जिसमें पहला सरकारी पार्किंग स्थल होंगे। निर्माण को प्राधिकरणों के माध्यम से निर्मित किया जाएगा। इसके बाद संचालन के लिए स्थानीय निकायों को हस्तांतरण होगा। यह व्यवस्था भी रखी जा सकती है कि पार्किंग से होने वाले आय में प्राधिकरणों का हिस्सा भी रहेगा। दूसरी श्रेणी लोक निजी सहभागिता (पीपीपी) से होने वाले निर्माण की रहेगी। इसके तहत सरकार एक प्राइवेट संस्थान के माध्यम से पार्किंग स्थल विकसित करेगी। तीसरी श्रेणी प्राइवेट पार्किंग स्थलों की रहेगी, जिसमें कई तरह के प्रावधान रखे गए हैं।
इसमें मल्टीलेवल पार्किंग के तहत अगर कोई निर्माण करते हैं तो उसे टाप के फ्लार पर निजी व्यवसाय जैसे होटल, रेस्टोरेंट या कोई अन्य व्यवसाय संचालित करने की अनुमति रहेगी। पर्यटन नीति के तहत पार्किंग को डालने से लैंड यूज बदले का शुल्क भी सस्ता हो जाएगा।
अगर शहर में कोई कृषि भूमि है तो बिना लैंड यूज बदले खुली पार्किंग निर्मित करने का प्रावधान रहेगा। प्राइवेट पार्किंग में अलग अलग दरों का प्रावधान रहेगा, जिसे संबंधित प्राधिकरण तय करेगा। पार्किंग क्षमता की एवज में शुल्क प्राधिकरण को मिलेगा। पार्किंग पालिसी ड्राफ्ट को जल्द मंत्रिमंडल के समक्ष लाया जाएगा। सचिव आवास नितेश झा ने बताया कि प्रदेश में पार्किंग की समस्या को देखते हुए विस्तृत पार्किंग पालिसी बनाई जा रही है।
सीएम कर चुके पार्किंग की 81 घोषणाएं
पार्किंग पालिसी लाने की एक वजह प्रदेश में पार्किंग स्थलों की निकाय क्षेत्रों से आने वाली भारी मांग है। स्थिति यह है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में 81 पार्किंग निर्माण की घोषणाएं कर चुके हैं। इनको पूरा करने के लिए ही दो सौ करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि खर्च का अनुमान है। ऐसे में सरकार एक पालिसी लाकर निजी सहभागिता और प्राइवेट पार्किं ग निर्माण पर नीति ला रही है।
300 फीसदी की दर से बढ़ रहे वाहन
राज्य गठन के बाद प्रदेश में तीन सौ फीसदी की दर से वाहन बढ़ रहे हैं। राज्य गठन के समय 3 लाख 63 हजार 916 वाहन थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 26 लाख 73 हजार 459 पहुंच गई है। इसमें निजी वाहनों की संख्या 24 लाख से अधिक है।
क्षमता का आकलन करना है बाकी
प्रदेश में किस स्थान पर कितनी पार्किंग की जरूरत है, इसका पूरा आकलन नहीं हुआ है। हरिद्वार, रुड़की और देहरादून में वाहनों की आवाजाही का पूरा प्लान मौजूद है, लेकिन अन्य बड़े शहरों में यह आकलन गतिमान है।