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कोटद्वार के सरकारी अस्पताल को अपग्रेड कर बेस हास्पिटल का दर्जा तो मिल गया स्वास्थ्य विभाग की इस गलती के फलस्वरूप स्थानीय लोगों को भुगतना पड़ रहा है। कोटद्वारवासियों की लगातार मांग के बाद साल 1970 में यहां संयुक्त अस्पताल का निर्माण हुआ था। दुगड्डा के अलावा द्वारीखाल, यमकेश्वर, जयहरीखाल, रिखीणीखाल, नैनीडांडा ब्लॉक के साथ ही बिजनौर जनपद के गांव के लोग इसी अस्पताल पर निर्भर हैं। सुविधा और संसाधन के मामले में कुछ भी नहीं है। इस हास्पिटल में पिछले चार साल से हृदय रोग विशेषज्ञ की नियुक्ति तक नहीं हो पाई है। यहां पर नियुक्त फिजिशियन को सीजन ड्यूटी के तहत केदारनाथ भेजा गया है। इस दौरान हार्ट अटैक से कई मौतें हो चुकी हैं इसके बावजूद सरकारी सिस्टम अंजान बना हुआ है। लगातार बढ़ती मरीजों की संख्या को देखते हुए पिछले साल इसे बेस हास्पिटल का दर्जा दिया गया था। सीएमएस डा. आरएस चौहान का कहना है कि बेस अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट की मांग लगातार की जा रही है और प्रत्येक बैठक में इस मुद्दे को उठाया भी जा रहा है।
यहां डिजिटल एक्सरे, एमआरआई, सीटी स्कैन, लीथो ट्रिप्सी व अल्ट्रासाउंड की मशीनें तो स्थापित हो गई लेकिन एक कार्डियोलॉजिस्ट की व्यवस्था नहीं हो पाई। थोड़ा बहुत काम फिजिशियन की मौजूदगी से चल भी रहा था लेकिन उनकी ड्यूटी पिछले कुछ समय से केदारनाथ में है। ऐसे में दिल के रोगियों के लिए समस्या खड़ी हो गई है। हार्ट से जुड़ा आये दिन कोई न कोई केस इस अस्पताल में पहुंचता है। लेकिन उपचार के अभाव में या तो उसे हायर सेंटर रेफर किया जाता है या फिर वह यहीं दम तोड़ देता है।