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लाखों छात्र-छात्राओं के लिए राहत की खबर ;नए शिक्षा सत्र से सरकारी और प्राइवेट स्कूल मनमर्जी से सहायक पुस्तकें नहीं लगा सकेंगे

लाखों छात्र-छात्राओं के लिए राहत की खबर ;नए शिक्षा सत्र से सरकारी और प्राइवेट स्कूल मनमर्जी से सहायक पुस्तकें नहीं लगा सकेंगे

उत्तराखंड के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्र-छात्राओं के लिए राहत की खबर है। नए शिक्षा सत्र से सरकारी और प्राइवेट स्कूल मनमर्जी से सहायक पुस्तकें नहीं लगा सकेंगे।सरकारी और सीबीएसई बोर्ड के स्कूलों में 2018-19 से एससीईआरटी की किताबें लागू करने के बाद अब सहायक पुस्तकों को भी सस्ती दरों पर एक समान रूप से स्कूलों में लगाए जाने की तैयारी है। किताबों के चयन के लिए समिति का गठन कर दिया गया है।प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में छात्र और उनके अभिभावक महंगी किताबों से खासे परेशान हैं। कुछ किताबों की कीमतें बहुत अधिक हैं। शिक्षा विभाग को इसकी शिकायतें मिल रही थीं। यही वजह रही कि सरकार ने वर्ष 2018-19 में स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें लागू कराने का निर्णय लिया।

सरकार के इस फैसले के बाद छात्रों को महंगी किताबों से कुछ हद तक निजात मिली। लेकिन एनसीईआरटी के अलावा अन्य सहायक पुस्तकों जैसे अंग्रेजी व्याकरण, हिंदी व्याकरण, सामान्य ज्ञान, कंप्यूटर, कला, नैतिक शिक्षा आदि विषयों की पुस्तकों की कीमतें अधिक होने की शिकायतें जारी रहीं।जिसे देखते हुए अब शिक्षा विभाग की ओर से सहायक विषय वस्तुओं की पुस्तकों को गुणवत्ता एवं न्यूनतम मूल्य के आधार पर छात्रों को उपलब्ध कराए जाने की तैयारी है। इसके लिए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद में विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। जो इस तरह की किताबों का चयन करेगी।छात्रों को एनसीईआरटी के अलावा अन्य सहायक पुस्तकें भी सस्ती दर पर उपलब्ध हो सकें, इसके लिए एनसीईआरटी में अपर निदेशक की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति गठित की गई है। जो इस तरह की पुस्तकों का चयन करेगी। इससे स्कूल मनमर्जी से महंगी किताबों के लिए दबाव नहीं बना सकेंगे।
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