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राजाजी टाईगर रिजर्व से सटे रिहायशी क्षेत्रों में गत छह वर्ष से आदमखोर गुलदार लगातार हमला कर रहा है। वह विभाग की नाकामी यह है कि आदमखोर गुलदार को मारना तो दूर उसकी ठीक से पहचान तक नहीं कि है। विभाग के पास इसके ठोस आंकड़े तक नहीं हैं कि क्षेत्र में कितने गुलदार हैं और उनमें से कितने आदमखोर हैं। लिहाजा रायवाला क्षेत्र बेहद संवेदनशील बना हुआ है। यहां 24 लोग को गुलदार ने अपना निवाला बना लिया हैं। पार्क प्रशासन के पास पालतू मवेशियों की मौत और घायल लोगों का तो कोई लिखित रिकार्ड ही नहीं है।जब वन्य जीव संरक्षण के नाम पर हर साल भारी.भरकम बजट खर्च होता है। जन सुरक्षा के प्रति वन विभाग की लापरवाही की कीमत लोगों को जान देकर चुका रहे है। हरिद्वार से ऋषिकेश के बीच यात्रा का 10 किलोमीटर मार्ग राजाजी टाइगर रिजर्व से होकर गुजरता है। इस मार्ग पर अब तक गुलदार के लोगों पर हमले की कई घटनाएं सामने आई हैं। यहां लगे कैमरा ट्रैप से मिली तस्वीरों के मुताबिक इस क्षेत्र में एक दर्जन गुलदार मौजूद हैं। वहीं यात्रियों की सुरक्षा के इंतजाम नदारद हैं। खतरे से अनजान यात्री यहां पेड़ों के नीचे विश्राम करते और सौंग नदी में नहाते देखे जा सकते हैं।
रायवाला तथा आसपास के जंगल से सटे रिहाइशी क्षेत्रों में जंगली जानवरों की आमद लगातार बनी हुई है। जंगली जानवर जान-माल के दुश्मन बने हुए हैं। छह साल के भीतर गुलदार के लोगों पर हमले की 36 से अधिक घटनाएं और 24 लोगों की मौत वन विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगा रही हैं। वहीं वन विभाग जन सुरक्षा के प्रति बेपरवाह बना हुआ है।
हालांकि गत वर्ष 10 जुलाई 2018 को एक गुलदार को खांडगांव के पास ढेर किया गया था। वन अधिकारियों ने इसके आदमखोर होने का दावा किया थाए लेकिन इसके बाद भी लोगों पर गुलदार के हमले की घटनाएं नहीं थमी। वहीं पार्क प्रशासन की कार्रवाई सिर्फ पिजरा लगाकर गुलदार पकड़ने और उनको दूसरी जगह छोड़ने तक सिमटी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि इससे कुछ नही होगा। आदमखोर गुलदार को पकड़ कर मारा जाना चाहिए तभी इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकेंगी।
चार धाम यात्रियों की सुरक्षा भी चुनौती
राजाजी पार्क प्रशासन लोगों की सुरक्षा के लिए कुछ नहीं कर रहा है। गुलदार व हाथी लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं। लोग अपने खेतों में भी जाने से डर रहे हैं। ऊर्जा तारबाड़ए सुरक्षा दीवार व पथ प्रकाश जैसी व्यवस्थाएं होनी चाहिए। पीड़ित परिवार को तुरन्त मुआवजा मिलना चाहिए। जंगल से सटे रिहाइशी क्षेत्र के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के हर सम्भव उपाय किए जा रहे हैं। यात्रियों के लिए हाईवे के किनारे खतरे की सूचना देने वाले बोर्ड भी लगे हैं। वन कर्मी भी नियमित गश्त करते हैं। मोतीचूर, सत्यनारायण व साहब नगर में पिजरा लगाया गया है। आदमखोर गुलदार चिह्नित है। यह काफी शातिर है और पिजरे के आस-पास नहीं फटक रहा है। गुलदार को मारने के आदेश नहीं हैं। अधिकारियों से इसकी मांग की जाएगी। गुलदार पीड़ित परिवार को आद्दथक मदद देने की प्रक्रिया शुरू की गई है।