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एनटीपीसी की 520 मेगावाट की तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना में कार्य कर रहे 12 मजदूरों और कर्मचारियों ने मौत को मात देकर जिंदगी पर जीत हासिल की। हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी के ये मजदूर और कर्मचारी साढ़े छह घंटे तक टनल में फंसे रहे। बाद में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों ने रेस्क्यू कर उन्हें टनल से बाहर निकाला। इन सबका इलाज आइटीबीपी अस्पताल जोशीमठ में चल रहा है।रविवार सुबह रोजाना की तरह तपोवन जल विद्युत परियोजना में मजदूर और कर्मचारी काम कर रहे थे। इस दौरान अचानक सैलाब आ गया। परियोजना की टनल में 12 मजदूर व कर्मचारी भी कार्य कर रहे थे। ये मजदूर व कर्मचारी साढ़े छह घंटे तक टनल के अंदर ही जिंदगी और मौत के बीच जूझते रहे। टनल के अंदर काम कर रहे बिहार निवासी नरेंद्र कुमार गौतम का इलाज भी आइटीबीपी के जोशीमठ स्थित अस्पताल में चल रहा है।
आपबीती सुनाते हुए गौतम बताते हैं, टनल के अंदर काम करने के दौरान उन्हें ‘बाहर निकलो, बाहर निकलो’ की आवाज आई। इसी दौरान टनल में पानी के साथ मलबा भी आ गया। देखते ही देखते टनल में तीन मीटर ऊंचाई तक पानी व मलबा भर गया। हमने टनल के ऊपर लगी सरिया पकड़कर खुद को बचाया। नरेंद्र बताते हैं, टनल के अंदर फंसे सभी लोग काफी डर गए थे। इसके बाद मैंने गाना गाकर उनका मनोबल बढ़ाया। जब आइटीबीपी जवानों ने हमें टनल से बाहर निकाला तब जाकर हमने राहत की सांस ली।टनल के अंदर से मौत को मात देकर निकलने वाले जोशीमठ के नृसिंह मंदिर निवासी राकेश भट्ट बताते हैं, वह टनल के अंदर काम कर रहे थे। धीरे-धीरे टनल में पानी बढ़ता गया और बाहर आने का रास्ता भी बंद हो गया। कुछ लोग टनल में काम में लगी मशीन के ऊपर चढ़ गए। एक कर्मचारी के पास मोबाइल था, उसकी टार्च भी टनल के अंदर सहारा बनी। वह आइटीबीपी के जवानों का शुक्रिया अदा करते हुए कहते हैं कि आइटीबीपी हमारे लिए भगवान से कम नहीं है।