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शिक्षकों पर किसी और की डिग्री के सहारे नौकरी हासिल करने का आरोप उत्तराखंड में एसआईटी की जांच में नियुक्ति

शिक्षकों पर किसी और की डिग्री के सहारे नौकरी हासिल करने का आरोप उत्तराखंड में एसआईटी की जांच में नियुक्ति

उत्तराखंड में एसआईटी की जांच में नियुक्ति में फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद आठ शिक्षक गायब हो गए हैं। इनमें हरिद्वार जिले के पांच और ऊधम सिंह नगर के तीन शिक्षक हैं। आरोप है कि इन सभी शिक्षकों ने किसी और की डिग्री पर नौकरी हासिल की थी। एसआईटी ने आरोपी शिक्षकाें से कुछ बिंदुओं पर जवाब मांगा था। जवाब देने के बजाय शिक्षक ड्यूटी से गायब हो गए। शिक्षा विभाग को इनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई के लिए लिखा गया है।

एसआईटी जांच में शिक्षा विभाग में अमान्य प्रमाणपत्राें के बाद दूसरे की डिग्री पर नौकरी करने का भी फर्जीवाड़ा उजागर हुआ। प्रमाणपत्राें के सत्यापन में अभी तक आठ ऐसे शिक्षक पकड़ में आए हैं, जो अपनी पहचान छिपाकर दूसरे के प्रमाणपत्रों पर ‘गुरु जी’ बनकर बैठे हुए हैं। इनमें पांच शिक्षक अकेले हरिद्वार जिले के हैं।

ऊधमसिंह नगर जिले के तीन शिक्षकाें का नाम भी फर्जीवाड़े में उजागर हुआ है। ये भी कार्रवाई से बचने के लिए स्कूल से नदारद हैं। इन शिक्षकाें ने अपने मोबाइल भी स्विच आफ कर दिए हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का भी उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। एसआईटी प्रभारी और आईपीएस मणिकांत मिश्रा ने हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के शिक्षा अधिकारियों से आरोपी शिक्षकों को एसआईटी के सामने पेश कराने को कहा है, ताकि उनका जवाब लेकर जरूरी कार्रवाई की जा सके।

एसआईटी ने शिक्षा निदेशालय को राजकीय इंटर कालेज पुरोला उत्तरकाशी की प्रवक्ता भारती गैरोला के खिलाफ मुकदमे की संस्तुति की है। दरअसल कर्णप्रयाग के कोलसो निवासी भारती सामान्य जाति की थी।
2003 में भारती की शादी विनोद गैरोला से हो गई थी। विनोद ओबीसी जाति से संबंधित था। इसी आधार पर भारती ने पिछड़ी जाति का प्रमाणपत्र बनवा लिया था। भारती ने ओबीसी कोटे से 2011 में पुरोला के राजकीय इंटर कालेज में प्रवक्ता पद पर नियुक्ति पा ली।
एसआईटी जांच में पता चला कि भारती मायके से सामान्य जाति की है। उत्तरकाशी से उन्हें प्रमाणपत्र गलत जारी हुआ है। एसआईटी प्रभारी मणिकांत मिश्रा ने जिलाधिकारी और बड़कोट के तहसीलदार की रिपोर्ट के आधार पर प्रवक्ता भारती गैरोला के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की है। हालांकि भारती गैरोला का कहना था कि उसे यह जानकारी नहीं थी कि विवाह के उपरांत जाति में कोई परिवर्तन नहीं होता।
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