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पितृ पक्ष के दौरान न करें ये गलत काम, जानिए श्राद्ध के नियम

पितृ पक्ष के दौरान न करें ये गलत काम, जानिए श्राद्ध के नियम

पितरों को तृप्‍त करना और उनकी आत्‍मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध  करना जरूरी माना जाता है. मन जाता है की श्राद्ध के जरिए पितरों की तृप्ति के लिए भोजन पहुंचाया जाता है और पिंड दान  व तर्पण  कर उनकी आत्‍मा की शांति की कामना की जाती है. हिन्‍दू पंचांग के मुताबिक पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ते हैं. इसकी शुरुआत पूर्णिमा तिथि से होती है, जबकि समाप्ति अमावस्या पर होती है. अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक हर साल सितंबर महीने में पितृ पक्ष की शुरुआत होती है. आमतौर पर पितृ पक्ष 16 दिनों का होता है. इस बार पितृ पक्ष 13 सितंबर से शुरू होकर 28 सितंबर को खत्म होगा. पितृ पक्ष के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है. मान्‍यता है कि अगर इन नियमों की अनदेखी की जाए तो पितृ नाराज हो जाते हैं और उनकी आत्‍मा को कष्‍ट पहुंचता  है.

 

श्राद्ध के नियम


    • पितृपक्ष में हर दिन तर्पण करना चाहिए पानी में दूध, जौ, चावल और गंगाजल डालकर तर्पण किया जाता है.
    • श्राद्ध के दौरान पिंड दान करना चाहिए. श्राद्ध कर्म में पके हुए चावल, दूध और तिल को मिलकर पिंड बनाए जाते हैं. पिंड को शरीर का प्रतीक माना जाता है. 

    • इस दौरान कोई भी शुभ कार्य, विशेष पूजा-पाठ और अनुष्‍ठान नहीं करना चाहिए.

    • श्राद्ध के दौरान पान खाने, तेल लगाने और संभोग की मनाही है. 

    • इस दौरान रंगीन फूलों का इस्‍तेमाल भी वर्जित है.

    • पितृ पक्ष में चना, मसूर, बैंगन, हींग, शलजम, मांस, लहसुन, प्‍याज और काला नमक भी नहीं खाया जाता है.

    • इस दौरान कई लोग नए वस्‍त्र, नया भवन, गहने या अन्‍य कीमती सामान नहीं खरीदते हैं. 

देखें श्राद्ध की तिथियां

13 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध ,     14 सितंबर- प्रतिपदा,      15 सितंबर-  द्वितीया,     16 सितंबर- तृतीया,    17 सितंबर- चतुर्थी,      18 सितंबर- पंचमी,     महा भरणी, 19 सितंबर- षष्ठी, 20 सितंबर- सप्तमी, 21 सितंबर- अष्टमी, 22 सितंबर- नवमी, 23 सितंबर- दशमी, 24 सितंबर- एकादशी, 25 सितंबर- द्वादशी, 26 सितंबर- त्रयोदशी, 27 सितंबर- चतुर्दशी, 28 सितंबर- सर्वपित्र अमावस्या.

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