पिछले कुछ समय से, विशेषकर राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तराखंड में जनसांख्यिकीय बदलाव का मुद्दा प्रमुखता से उठा। सरकार की सोच रही है कि समुदाय विशेष को मिले अधिकारों के कारण सामाजिक सद्भाव पर प्रत्यक्ष-परोक्ष प्रभाव पड़ता है। माना जा रहा है कि इसने भी सरकार को समान नागरिक संहिता की दिशा में तेजी से कदम बढ़ाने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया।इस सबके मद्देनजर भाजपा की वर्तमान धामी सरकार ने देवभूमि में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। साथ ही उसने यह दर्शाया है कि सरकार द्वारा जो निर्णय लिया गया है, उसे वह धरातल पर भी उतार रही है। सरकार ने यह संदेश देने का भी प्रयास किया है कि देवभूमि में रहने वाले लोग, चाहे वे किसी भी धर्म, वर्ग अथवा संप्रदाय से संबंधित हों, उन्हें राज्य में समान रूप से समान अधिकार मिलने चाहिए।प्रदेश सरकार के इस कदम को दूरगामी परिणाम वाला बड़ा कदम माना जा रहा है। आने वाले दिनों में समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार होने के बाद सरकार क्या-क्या कदम उठाती है, इसे लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी। साथ ही सरकार के इस निर्णय से अब देश के अन्य राज्य भी समान नागरिक संहिता लागू करने का निर्णय ले सकते हैं।