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अल्मोड़ा में हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाने वाली वनस्पतियों से प्राकृतिक रेशा (नेचुरल फाइबर) तैयार करने और रिसर्च सेंटर खोला जाएगा। वस्त्र मंत्रालय ने इसके लिए 20 करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी है। इस सेंटर को नार्दन इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (निट्रा) के माध्यम से स्थापित किया जाएगा। प्रदेश सरकार ने सेंटर के लिए एक एकड़ भूमि वस्त्र मंत्रालय को स्थानांतरित कर दी है।
उत्तराखंड में हिमालयन नेटल (कंडाली), भांग, भीमल, रामबांस, भाबर घास पर रिसर्च और रेशा तैयार करने के लिए अल्मोड़ा में नेचुरल फाइबर पर आधारित सेंटर आफ एक्सीलेंसी स्थापित किया जाएगा। हिमालयन नेचुरल फाइबर को बढ़ावा देने के लिए यह देश का पहला सेंटर होगा। वस्त्र मंत्रालय ने सेंटर निर्माण के लिए पहली किस्त के तौर पर 20 करोड़ रुपये की धनराशि जारी कर दी है।
गत दिनों दिल्ली में वस्त्र मंत्री स्मृति ईरानी ने पर्यटन, कृषि, संस्कृति विभाग और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। उन्होंने इस सेंटर को पर्यटन और संस्कृति की दृष्टि से विकसित करने को कहा है।पर्यटकों को नेचुरल फाइबर से तैयार उत्पादों के प्रति आकर्षित किया जा सके। बैठक में प्रदेश से प्रमुख सचिव मनीषा पंवार और उद्योग निदेशक सुधीर चंद्र नौटियाल ने भाग लिया था।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्राकृतिक रेशा से बने कपड़ों की मांग
उत्तराखंड में कंडाली, भांग, भीमल, रामबांस, भाबर घास के रेशे से तैयार कपड़ों की अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी डिमांड है। पूरे उत्तराखंड में 95 प्रतिशत से अधिक वनस्पतियां रेशा प्रजाति की पाई जाती है। प्रदेश में उत्तराखंड बांस एवं रेशा विकास परिषद ने कुछ प्रजातियों को व्यवसायिक तौर पर चिन्हित किया है।
नेचुरल फाइबर केंद्र की स्थापना से राज्य में उपलब्ध विशेष संसाधनों के आधार पर उद्योगों की स्थापना और निर्यात के अवसर प्राप्त होंगे। वहीं, स्थानीय लोगों को नेचुरल फाइबर से आय प्राप्त होगी।