सरकारी अनुदान के भरोसे चल रहे अशासकीय स्कूल बेचैन हैं। वजह शिक्षा विभाग और मंत्रीजी की नाराजगी। इन स्कूलों में शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के खाली पदों को भरने को लेकर हमेशा खींचतान चलती रहती है। नियुक्तियों में गड़बड़ी की शिकायतें मिलने पर कई दफा रोक भी लगाई जा चुकी है। रोक लगाने से बच्चों की पढ़ाई को नुकसान के अलावा ज्यादा कुछ हाथ लगता नहीं है। थक-हार कर दोबार नियुक्तियों को हरी झंडी दे दी जाती है। राज्य में 335 इंटर कालेज और 65 हाईस्कूल सहायताप्राप्त हैं। गड़बड़ी के मामलों की जांच को सरकार स्पेशल आडिट के आदेश दे चुकी है। सरकारी स्कूलों की तर्ज पर इन स्कूलों में नियुक्तियां राज्य लोक सेवा आयोग और अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से करने पर विचार किया जा रहा है। विभाग इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर रहा है। कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद इस पर अमल किया जाएगा।पब्लिक स्कूलों को टक्कर देने को तैयार किए जा रहे अटल आदर्श विद्यालयों में तैनात होने वाले शिक्षक मौज में रहेंगे। एक बार तैनाती होने के बाद पांच वर्ष तक उन्हें हटाया नहीं जा सकेगा। परफारमेंस के आधार पर उन्हें पांच साल से ज्यादा अवधि तक विद्यालयों में बनाए रखने का विकल्प दिया गया है। नए प्रविधान शामिल करने के लिए तबादला एक्ट में संशोधन किया जा रहा है। इसके बाद इन शिक्षकों के लिए विशेष व्यवस्था अमल में लाई जा सकेगी। शिक्षकों की तैनाती लिखित परीक्षा के माध्यम से ही होगी। लिखित परीक्षा का प्रारूप बनाने का जिम्मा उत्तराखंड बोर्ड को दिया गया है। अब विभाग शिक्षकों को नई व्यवस्था में शामिल होने को प्रेरित कर रहा है। ये विद्यालय सीबीएसई से मान्यताप्राप्त होंगे। शिक्षकों को भविष्य में कैडर परिवर्तन की समस्या उत्पन्न होने का अंदेशा है। हालांकि कैडर परिवर्तन के अंदेशे को विभाग खारिज कर चुका है।