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विधायकों को साधने की चुनौती सामने ;पुष्कर सिंह धामी

विधायकों को साधने की चुनौती सामने ;पुष्कर सिंह धामी

इसे जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने की ललक कहें या फिर खुद को बीस साबित करने की कोशिश, बात चाहे जो भी हो, सत्तारूढ़ भाजपा के विधायकों में अक्सर असंतोष के सुर उभरते रहे हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्रित्व काल में विधायकों के बीच से ऐसे सुर उठे थे, मगर त्रिवेंद्र ने उनके साथ तालमेल बैठा लिया था। अब जबकि बदली परिस्थितियों में पुष्कर सिंह धामी को कमान मिली है, उन्हें भी इस मामले में अपने सियासी कौशल का परिचय देना होगा। वह किस तरह संतुलन साधकर वरिष्ठ मंत्रियों और विधायकों का विश्वास जीतते हैं, इस पर सभी की नजरें टिकी हैं।

प्रदेश में भाजपा के सत्तासीन होने के बाद विकास कार्यों, नौकरशाही के रवैये समेत अन्य कई मुद्दों को लेकर भाजपा विधायक मुखर रहे हैं। त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्रित्व काल में कई विधायकों ने खुलकर असंतोष जाहिर किया था। यह बात अलग है कि त्रिवेंद्र ने किसी तरह से परिस्थिति को काबू में करने के साथ ही विधायकों से तालमेल बैठाते हुए उनमें संतुलन साधने की कोशिश की। त्रिवेंद्र के बाद तीरथ सिंह रावत ने भी अपने छोटे से मुख्यमंत्रित्व काल में विधायकों को साधने में कामयाबी हासिल की। और तो और, विपक्ष के विधायक भी उनसे मुलाकात करने लगे थे।गुटीय राजनीति के हिसाब से देखें तो धामी को पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी खेमे का माना जाता है। ऐसे में वह किस तरह से तालमेल बैठाते हैं, इस पर आने वाले दिनों में सभी की निगाह रहेगी। यानी, इस मामले में मुख्यमंत्री धामी के सियासी कौशल की परीक्षा होनी है।

 

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