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भाई ने अपनी बहन का सुहाग बचाने के लिए  किया अंगदान , 11 घंटे चला लिवर ट्रांसप्लांट ऑपरेशन

भाई ने अपनी बहन का सुहाग बचाने के लिए किया अंगदान , 11 घंटे चला लिवर ट्रांसप्लांट ऑपरेशन

केजीएमयू के खाते में दूसरी बार लिवर प्रत्यारोपण कर एक और उपलब्धि बृहस्पतिवार को दर्ज हुई। सुबह सात बजे से शुरु हुआ ऑपरेशन शाम पांच बजे खत्म हुआ। डॉक्टरों के मुताबिकए मरीज की हालत स्थिर है।
लिवर देने वाले की बहन का पति अभी बेहोश हैए उसे आईसीयू में रखा गया है। जबकि लिवर देने वाला व्यक्ति होश में आ गया है। डॉक्टरों की टीम बराबर दोनों पर ध्यान देरी है। होश में आने के लिए मरीज को 72 घंटे चाहिए हैं।

निवासी आलमबाग नवीन बाजपेई ;45द्ध लिवर सिरोसिस से पीड़ित थे। उनका लिवर काफी खराब हो चुका था। कुछ माह पहले गंभीर हाल में मरीज को केजीएमयू लाया था। यहां गेस्ट्रो सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉण् अभिजीत चंद्रा ने मरीज की जांच पड़ताल बाद प्रत्यारोपण ही करने के लिए कहा।
परिवार की रजामंदी और नवीन के साले का लिवर प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त पाए जाने पर सर्जरी की तैयारी शुरू की । डॉण् चंद्रा के द्वाराए मरीज को दस दिन पहले वार्ड में भर्ती किया गया था। पांच दिन तक मरीज को विशेष प्रोटोकॉल में रखा गया। मरीज की मेडिकल हिस्ट्री बनाई गई और बृहस्पतिवार सुबह सात बजे प्रत्यारोपण शुरू किया गया।
बहन का सुहाग बचाने को साले ने किया अंगदान बहन का सुहाग बचाने लिए।
लिवर प्रत्यारोपण की जरूरत बताते हुए डॉण् अभिजीत चंद्रा के मुताबिकए परिवार के सदस्यों की काउंसलिंग की गई। मरीज की पत्नीए बहन व अन्य सदस्य राजी भी हो गएए लेकिन किसी न किसी वजह से उनका लिवर नहीं लिया गया।

परिवार के छह अन्य सदस्यों की जांच की गईए लेकिन उनका लिवर भी प्रत्यारोपण के लायक नहीं था। आखिर में मरीज के साले पवन तिवारी ;35द्ध को प्रत्यारोपण के लिए फिट माना गया। उनके साले पवन के राजी होते ही आगे की प्रक्रिया शुरू की गई। अब तक जितने भी अंग प्रत्यारोपण हुए हैंए उसमें मां.बाप व पत्नी.पति ही अंगदान किया है।साले के अंग पहली बार प्रत्यारोपण किया है।
14 से 15 लाख रुपये खर्च होते हैंए प्रत्यारोपण में
केजीएमयू प्रशासन का कहना है कि करीब सात से आठ लाख रुपये खर्च आया है। पीजीआई में 14 से 15 लाख रुपये खर्च होते हैं जबकि निजी अस्पतालों में 40 लाख रुपये के करीब खर्च आता है।

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