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बात खुद पर आई तो भाजपा और कांग्रेसी पार्षद एक साथ खड़े नजर आए

बात खुद पर आई तो भाजपा और कांग्रेसी पार्षद एक साथ खड़े नजर आए

शहर में गली-मोहल्लों में सफाई के लिए बनाई गईं मोहल्ला स्वच्छता समिति में फर्जी कर्मचारी नियुक्त करने और वेतन हड़पने के मामले में सोमवार को जमकर हंगामा हुआ। बात खुद पर आई तो भाजपा और कांग्रेसी पार्षद एक साथ खड़े नजर आए। संयुक्त रूप से पार्षदों ने महापौर सुनील उनियाल गामा को ज्ञापन देकर संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध मुकदमे की मांग की, जिसने पूरे प्रकरण का शनिवार को पर्दाफाश किया था। पार्षदों ने दावा जताया कि निगम ने सूचना के अधिकार में समिति से जुड़ी कोई जानकारी किसी को नहीं दी। ऐसे में फर्जीवाड़ा कर नगर निगम व पार्षदों को बदनाम किया जा रहा। महापौर गामा ने कहा कि प्रकरण की जांच कराई जा रही है और यदि भ्रामक सूचना से निगम की छवि धूमिल की गई है तो दोषी के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

कौलागढ़ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता विनोद जोशी ने शनिवार को नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय से मुलाकात कर वार्डो में मोहल्ला स्वच्छता समिति में फर्जीवाड़े का आरोप लगाया था।जोशी ने यह दावा किया था कि उन्होंने नगर निगम से सूचना के अधिकार में समितियों की जानकारी ली थी। जिसमें ज्यादातर वार्डो में कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति के जरिये वेतन हड़पा जा रहा है। आरोप है कि स्वच्छकारों के बजाए स्वर्ण जाति के व्यक्तियों को समिति में रखा गया है, जो सफाई का कार्य करते ही नहीं हैं। मामले को गंभीरता से लेते हुए आयुक्त ने मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी को वार्डो की समिति की जांच के आदेश दिए थे।

सोमवार को इस मामले में भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों ने एक सुर में समिति में घोटाले के आरोपों को खारिज किया और महापौर गामा से मुलाकात कर बताया कि निगम ने किसी को सूचना के अधिकार में जानकारी नहीं दी। यह आरोप लगाया कि विनोद जोशी साजिशन पार्षदों को बदनाम कर रहा। इस दौरान भाजपा पार्षद भूपेंद्र कठैत समेत कांग्रेस के पार्षद डा. बिजेंद्र पाल सिंह, सुमेधा गुरुंग और नंदनी शर्मा समेत करीब दो दर्जन पार्षद शामिल रहे।मोहल्ला स्वच्छता समिति में दूसरी बार गड़बड़ी के आरोपों पर महापौर और नगर आयुक्त ने सभी वार्डो में समिति के तहत रखे गए कर्मचारियों का भौतिक सत्यापन करने के आदेश दिए हैं। दरअसल, पार्षद तर्क दे रहे कि उन्होंने सभी कर्मियों के नाम, पते व बैंक खाते के नंबर निगम को दिए हुए हैं और अब वेतन सीधे बैंक खाते में जाता है, लेकिन पार्षदों पर आरोप है कि उन्होंने ऐसे व्यक्तियों के नाम सूची में दर्ज किए हुए हैं, जो सफाई का काम करते ही नहीं। आरोप हैं कि इनकी चेकबुक समेत एटीएम कार्ड तक पार्षदों ने अपने पास ही रखे हुए हैं, ताकि वेतन आने पर निकासी खुद पार्षद कर सकें।

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