पूजा अर्चना के बाद महिला व पुरुषों ने देवता की डोली के साथ रांसो-तांदी नृत्य किया। इस मौके पर स्थानीय महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा से सज्जित होकर पौराणिक गीत भी गाए। पूजा अर्चना समापन होने के बाद ग्रामीणों ने हलवा व पूरी को प्रसाद वितरित किया गया। शाम होते ही ग्रामीण नेलांग घाटी से वापस बगोरी गांव लौटे।बगोरी गांव के पूर्व प्रधान भवान सिंह राणा ने बताया कि नेलांग और जादुंग में ग्रामीणों की पैतृक भूमि है। लेकिन आज तक ग्रामीणों को अपनी भूमि का प्रतिकर नहीं मिला। न ही गांव का विस्थापन हुआ।
उन्होंने कहा कि सीमांत गांवों को पर्यटन के रूप में विकसित करने और ग्रामीणों के विस्थापन के लिए ग्रामीण आज भी केंद्र सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। ग्रामीणों को प्रतिवर्ष अपने अपने पैतृक गांव में अपने अराध्यदेव की पूजा अर्चना करने के लिए जिला प्रशासन की अनुमति लेकर आना पड़ता है।इस बार भी 150 ग्रामीणों ने उप जिलाधिकारी से अनुमति मांगी है। फिर गंगोत्री नेशनल पार्क से भी अनुमति ली है। यह हमारा सबसे बड़ा दुर्भाग्य है। इस मौके पर देव पूजन कार्यक्रम में बगोरी के पूर्व प्रधान नारायण सिंह, जसपाल रावत, प्रधान सरिता रावत, सुनील नेगी आदि मौजूद थे।