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देहरादून शहर में डेंगू का कहर तेजी से फैल रहा है। इसका बुखार अब खतरनाक होने लगा है। बुखार बिगड़ने पर यह किडनी और लीवर के लिए भी खतरा बन रहा है। इस तरह के मरीज अब लगातार अस्पताल में पहुंच रहे हैं।
इस सीजन में शुरुआती दौर में डेंगू का बुखार ज्यादा खतरनाक नहीं हो रहा था। मरीजों को एक-दो दिन भर्ती करने के बाद चिकित्सक घर भेज रहे थे। कुछ मरीजों को ओपीडी से ही जांच के बाद जरूरी परामर्श देकर घर पर दवा लेने और आराम और एहतियात बरतने की सलाह दी जा रही थी। लेकिन, अब डेंगू का बुखार खतरनाक स्तर तक पहुंचने लगा है।
हालत यह है कि जरा सी लापरवाही हुई नहीं कि यह किडनी, लीवर और फेफड़ों पर असर डालने लगा है। इस तरह के मरीज भी अब अस्पताल में पहुंच रहे हैं। गांधी शताब्दी अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. प्रवीण पंवार के मुताबिक, इलाज में देरी और लापरवाही के चलते कई बार यह शरीर के दूसरे अंगों खासकर किडनी पर दुष्प्रभाव डालने लगता है। इसलिए डेंगू को हल्के में न लेकर विशेषज्ञ डॉक्टर से चेकअप जरूर कराएं।
डेंगू के लक्षण
ठंड लगने के साथ अचानक तेज बुखार।
सिर, पेट मांसपेशियों और जोड़ों में असहनीय दर्द।
बहुत ज्यादा कमजोरी लगना और भूख न लगना।
शरीर पर चकते पड़ना, हाथ-पैर ठंडे पड़ने, बार-बार उल्टी होना, जी मिचलाना।
बेहोशी छाने और हालत गंभीर होने पर मुंह-नाक से खून निकलना।
(दून अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. एसडी जोशी से बातचीत पर आधारित)
घर, स्कूल और कार्यालयों के कूलर, फ्रिज व गमलों आदि में ज्यादा दिन तक पानी जमा न रहने दें।
फुल बाजू की कमीज, फुल पैंट, सलवार, ट्राउजर आदि पहनें।
शरीर पर मच्छर रोधी क्रीम लगाकर रखें।
सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।
भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।
डेंगू के प्राथमिक लक्षण दिखने पर खुद दवा लेने की बजाय किसी अच्छे चिकित्सक को दिखाएं।
डॉक्टर की सलाह के अनुसार, जांच कराएं और दवा लें।
डेंगू के दौरान शरीर में पानी की कमी नुकसानदायक हो सकती है। इसलिए मरीज को समय-समय पर पानी पिलाते रहें।
छाछ, नींबू पानी और नारियल पानी लाभदायक रहेगा। एंटी ऑक्सीडेंट के तत्वों से भरपूर कीवी, किशमिश जैसे फल व मेवें खाएं।
मिर्च मसाले और तला हुआ खाना न खाएं, भूख से कम खाना खाएं।