बहुजन समाज पार्टी उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव अपने ही बूते पर लड़ेगी। पार्टी सुप्रीमो मायावती के बयान के बाद इस पर मुहर लग गई है। इसके साथ ही बसपा अब आगामी चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद यहां बसपा का मजबूत जनाधार रहा है। राज्य गठन के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव में बसपा, कांग्रेस व भाजपा के बाद आठ सीटें जीत कर प्रदेश में तीसरी ताकत के रूप में उभर का सामने आई।यह बात अलग है कि शुरुआती विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन करने वाली बसपा का प्रदर्शन लगातार गिर रहा है। वर्ष 2002 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में बसपा ने 10.93 मत प्रतिशत लेकर सात सीटों पर कब्जा जमाया था। 2007 में हुए दूसरे विधानसभा चुनाव में बसपा ने 11.76 फीसद मत प्रतिशत के साथ आठ सीटें कब्जाई। वर्ष 2012 में बसपा का मत प्रतिशत तो बढ़ कर 12.19 प्रतिशत तक पहुंचा, लेकिन सीटों की संख्या घट कर तीन पहुंच गई।
वहीं 2017 के विधानसभा चुनावों में बसपा को केवल 6.98 प्रतिशत मत मिले और उसकी झोली खाली रही। अहम यह कि बसपा ने 2017 से पहले जो भी सीटें जीतीं, वे मैदानी जिलों तक सीमित रहीं। अब आगामी विधानसभा चुनाव अगले वर्ष के शुरुआती महीनों में होने हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं।सियासी गलियारों में चर्चाएं थी कि प्रदेश में कांग्रेस व भाजपा के खिलाफ बसपा किसी अन्य पार्टी के साथ चुनाव में जाने की रणनीति अपना सकती है। इन चर्चाओं पर बसपा सुप्रीमो मायावती के उस बयान के बाद विराम लग गया है, जिसमें उन्होंने कहा कि कि पार्टी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कोई गठबंधन नहीं करेगी।
Comments Off on मुख्य सचिव ने सभी सम्बन्धित विभागों एवं संस्थानों के अधिकारियों को शीघ्र से शीघ्र प्रदेश में नेटवर्क की 100 प्रतिशत कवरेज उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए।