पार्टी के फीडबैक मैकेनिज्म पर सवालिया निशान है। मुख्यमंत्री के चयन और बदलावों को लेकर पार्टी हाईकमान का सतही नजरिया और सतही तर्क कहीं न कहीं राज्यवासियों को कचोटता रहा है। जनादेश से साफ है कि राज्यवासी भाजपा को चाहते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री को लेकर इस तरह की प्रयोगशाला बनना उन्हें ठीक नहीं लगता। केंद्र में प्रधानमंत्री की कुर्सी पर नरेन्द्र मोदी के नायकत्व पर झूमने वाला मतदाता अपने प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर भी नायक देखना चाहता है। इस अपेक्षा में कुछ भी अस्वाभाविक नहीं है। मुख्यमंत्री को लेकर राज्यवासियों की दो कसौटियां हैं। वे मुख्यमंत्री को योग्यता, प्रशासनिक क्षमता, चाल-चरित्र के पैमाने पर कसते हैं। साथ ही भावनात्मक तराजू पर भी तौलते हैं।राज्यवासी अनुशासित और अहिंसक आंदोलनों से जन्मे उत्तराखंड के मुखिया की कुर्सी पर ऐसे व्यक्तित्व को देखना चाहता है, जो सच में वीरभूमि और देवभूमि का प्रतिनिधित्व करता हो। जो जनता के साथ सीधा संवाद स्थापित कर सके। जो जनअपेक्षाओं के अनुरूप विकास कार्यो को आगे बढ़ा सके। साथ ही जनभावना के अनुरूप आचरण भी कर सके।जाहिर है किसी भी मुख्यमंत्री के लिए समयबद्धता के साथ प्रशासनिक कार्य और जनता के साथ संवाद और सुलभता बनाए रखना कठिन कार्य होता है। जो दोनों कर ले जाए वही मुख्यमंत्री जननायक भी बन जाता है। यहां यह भी उल्लेखननीय है कि उत्तराखंड के मतदाता अकर्मण्य को माफ कर सकते हैं, लेकिन अहंकारी और भ्रष्ट को नहीं। हालांकि प्रदेश में यह मानने वाला वर्ग भी है, जो कार्य-प्रदर्शन के आधार पर मुख्यमंत्री बदलने के फैसलों को उचित मानता है। बुद्धिजीवियों का यह वर्ग मानता है कि पार्टी हाईकमान को मुख्यमंत्री के कार्यो का लगातार मूल्यांकन करते रहना चाहिए, आम जन से फीडबैक लेते रहना चाहिए और पैमाने पर खरा न उतरने पर बेहतर प्रदर्शन कर सकने वाले को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंप देनी चाहिए।
किसी को भी मुख्यमंत्री का पद निरपेक्ष रूप से पांच साल के लिए नहीं दिया जा सकता है। यह कोई जमीन का पट्टा नहीं, जो लिख दिया तो लिख दिया। नेतृत्व कर सकते हो तो कुर्सी पर रहो वरना दूसरे के लिए खाली करो। इस परिणामोन्मुखी वर्ग का यह भी मानना है कि पार्टियां फिर ऐसा न कहें कि जिन्हें हटाया गया वे बहुत अच्छा काम कर रहे थे। जब अच्छा काम कर रहे थे तो बदले क्यों गए? जनता तो सब जानती है। टिकाऊ मुख्यमंत्री का अर्थ पांच साल चलने वाला नहीं, बल्कि पांच साल तक दौड़ने वाला होता है, यानी क्षमता और योग्यता वाला मुख्यमंत्री।