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आखिर मीडिया माफिया का इतना महिमा मंडन क्यूँ

आखिर मीडिया माफिया का इतना महिमा मंडन क्यूँ

उत्तराखंड मीडिया:उत्तराखंड में कभी एक पुराने स्कूटर के साथ आया कथित मीडिया  उमेश जय कुमार आज अरबों की संपत्ति का मालिक है । ये संपत्ति कहाँ से आई कैसे आई इसकी असलियत सबके सामने है । मीडिया हाउस की आड़ में उमेश ने अपना एक बड़ा साम्राज्य खड़ा किया । और इस साम्राज्य को खड़ा करने में खुद को उत्तराखंड का हितैषी कहने वाले बड़े नेता ,अफसर और मीडिया का एक वर्ग भी शामिल रहा । उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का किस तरीके से स्टिंग किया गया और देश दुनिया में उत्तराखंड की घिनौनी राजनीति को लेकर कितनी थू थू हुई ये सब जानते है । लेकिन इसके पीछे किसका हाथ था इस पर मीडिया ने भी ना के बराबर ही लिखा ,है ना ताज्जुब की बात । कुछ पत्रकारों ने तो इनका  ऐसे महिमा मंडन किया जैसे उत्तराखंड में इसके अलावा कोई मुद्दा ही ना  हो ….

बहरहाल ये किस्सा तो पुराना है लेकिन इसका जिक्र करना इसलिए जरूरी है की उमेश एक बार फिर से उत्तराखंड में सोशल मीडिया के जरिये उत्तराखंड का सबसे बड़ा हितैषी बनने की नौटंकी कर रहा है । अपने को पाक साफ घोषित करने के चक्कर में यह भी भूल गया की वो किन लोगों को उपदेश दे रहा है । उत्तराखंड किसी की देन नहीं है बल्कि यह जन आंदोलनों से उपजा राज्य है यहाँ की महिलाओं और नौजवानों के  संघर्षों से निकला राज्य है ये ….और जो संघर्षो से हासिल किया जाता है उसे बर्बाद करने का हक किसी को नहीं है । जिस तरीके से पिछले कुछ दिनों से उमेश सोशल मीडिया में खुद को उत्तराखंड का सबसे बड़ा हितैषी बता रहा है और ऐसे दिखाने की कोशिश कर रहे है  जैसे इन्हें ही उत्तराखंड की चिंता है और जेल की हवा खाने के बाद तो यह चिंता ज्यादा बढ़ गई है ।  उत्तराखंड किसी का मोहताज नहीं है । और जिस व्यक्ति ने चंद सालों में दलाली कर अरबों का साम्राज्य हासिल किया वो उत्तराखंड के स्वाभिमानी और ईमानदार लोगों को सर्टिफिकेट बांटने के बारे में सोच भी कैसे सकता है और फिर कौन है उमेश जय कुमार, क्या नाता है उसका उत्तराखंड से,उत्तराखंड ही नहीं देश और दुनिया में अपनी लेखनी से सामाजिक सरोकारों को उठाने वाले उत्तराखंड के पत्रकारो को अब स्टिंगबाज़ बताएँगे पत्रकारिता के तौर तरीके  । और तब कहाँ गए थे इन महाशय के उत्तराखंड के सामाजिक सरोकार जब तिवारी ,विजय बहुगुणा और खंडुडी की सरकार में इनके द्वारा अनाप शनाप तरीके से उत्तराखंड को लूटा जा  रहा था ।

दरअसल स्टिंगबाजी में माहिर  उमेश जब इस बार भी हरीश रावत का एपिसोड दोहराने की कोशिश कर रहा था जिसमें उसे कामयाबी तो  नहीं मिली बल्कि उल्टा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने उसके नापाक मंसूबो को भांपते हुये उसे ऐसा सबक सिखाया की आज यह शातिर अपने ही बुने जाल में फंस गया है ।कभी अमित शाह के दरबार मे सीधे इंट्री पाने वाले उमेश के बीजेपी हाईकमान ने सारे  दरवाजे बंद कर दिये  है ।  हालांकि ये बहुत पहले हो जाना चाहिए था । ऐसा नहीं है की उमेश की कारगुजारियों का किसी को पता नहीं था लेकिन उत्तराखंड के किसी भी मुख्यमंत्री ने उमेश के खिलाफ बड़ी कारवाई नहीं की । 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने भी उमेश की करतूतों को भाँप लिया था । सूत्रों की माने तो वह निशंक से कई उल्टे काम कराना चाहता था । इसी बात को लेकर निशंक ने उसे उत्तराखंड में न घुसने की हिदायत दी थी । लेकिन तिवारी और ख्ंडुडी सरकार में उमेश की पौ बारह रही । उत्तराखंड के एक कद्दावर मंत्री से तो उमेश की गलबहियाँ जगजाहिर है जब एक युवती ने मंत्री महोदय पर यौन शोषण का आरोप लगाया तो उमेश ही वह शख्स था जिसने  उस युवती को चैनल पर प्रकट कर तुरंत सफाई दिलवा डी की वह गुस्से में थी इसलिए उसने झूठा आरोप लगा दिया । इस तरह के और भी बहुत किस्से है । उमेश की राजनीतिक पहुँच भी उत्तराखंड के सियासी गलियारों से ही बनी । और यही वजह रही की  दर्जन भर से अधिक मुकदमे दर्ज होने के बावजूद भी उसे गिरफ्तार करने के बजाय दिल्ली से सुरक्षा कवच दिया गया ।

।उत्तराखंड के नेताओं को दिल्ली,मुंबई और ना जाने कहाँ कहाँ बड़े बड़े होटलों में विशेष व्यवस्था कराने वाले उमेश के खिलाफ आज भी बीजेपी का कोई बड़ा नेता मुंह खोलने को तैयार नहीं है ।पिछले दिनों जब इस स्टिंगबाज़ के खिलाफ सरकार द्वारा करवाही की गई तो खुद को उत्तराखंड के हितैषी कहने वाला मीडिया का एक तबका उमेश जय कुमार की ऐसे पैरवी करते दिखा जैसे सरकार ने बहुत बड़ी गलती कर दी हो ।और तो और  इस मोर्चे पर मुख्यमंत्री मंत्री अकेले लड़ते दिख रहे है कहाँ गए बीजेपी के बड़े बयान बहादुर ? त्रिवेन्द्र सिंह रावत वाकई में बधाई के पात्र है जिन्होंने इस कथित के खिलाफ कारवाई करने की हिम्मत तो दिखाई वरना ना जाने कितने उमेश बैठे है उत्तराखंड को लूटने के लिए …

और अब एक नजर इनकी संपत्ति पर भी डालिए

देहरादून के सबसे महंगे इलाकों में उमेश कुमार की अरबों की संपत्ति है इसमें करोड़ों के की बड़े भूखंड, फार्म हॉउस और विलाज शामिल हैं। इनमे से कुछ सम्पत्ति उमेश कुमार ने रिश्तेदारों और अपनी पत्नी के नाम भी करा रखी है। सूत्रों के अनुसार उमेश कुमार की करोड़ों की ज्यादातर जमीनें अग्रवाल स्टोन क्रशर फार्म के नाम पर हैं।

  1. एटीएस एडवांटेज इंदिरापुरम गाजियाबाद के टावर नंबर 19 में बहुत महंगा फ़्लैट
  2. फुलसैनी में 50 बीघा जमीन। यह जमीन उसने मधु गुप्ता से ली।
  3. देहरादून में सहत्रधारा पुल के पास 12 बीघा जमीन ( मधु और उमेश गुप्ता के संयुक्त नाम से)
  4. नोएडा सेक्टर 72 में 500 गज का प्लॉट।
  5. अमरोहा में 35 बीघा जमीन और फार्महाउस।
  6. दिल्ली के चाणक्यपुरी में पेट्रोल पम्प (वंशी लाल नाम से)
  7. दिल्ली उप्पल टावर आईटी पार्क में 1600 गज का प्लाट।
  8. विस्परिंग विलो में पत्नी के नाम महंगा फ़्लैट ।
  9. रायपुर के मन्दाकिनी विहार में मंहगा मकान।
  10. राजपुर के जंगल-मंगल क्षेत्र में करोड़ों की दो विलाज निर्माणाधीन।….अब आप ही बताएं की उत्तराखंड को लूट का अड्डा बनाने वाले इन  लुटेरों पर क्या जनता को भी  सरकार का साथ नहीं देना चाहिए और यदि हाँ तो उत्तराखंड के लुटेरों के खिलाफ कर डालिए एक जन आंदोलन खड़ा ….
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