कल तक आप पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते दीपक बाली अपनी पार्टी की खूबियां और मॉडल गिनाते नहीं थकते थे और आज उसी पार्टी में उनका दम घुटने लगा है। खैर यह बात आज की राजनीति में अब मायने नहीं रखती लेकिन आम आदमी पार्टी के लिए यह दोहरा झटका साबित हुआ।पार्टी हाइकमान ने दो माह पूर्व कर्नल अजय कोठियाल की नाराजगी झेलेते हुए जिस दीपक बाली को पार्टी के प्रदेश के शीर्ष पद से नवाजा आज वही पार्टी के अध्यक्ष पद त्याग कर खुद को आज बीजेपी का सिपाही बता रहे हैं। उत्तराखंड की राजनीति में आम आदमी पार्टी के साथ घटे इन घटनाक्रम में एक बाद तो साफ है कहीं न कही रणनीतिक स्तर पर पार्टी अपने वजूद को बचाने में विफल रही।
आप पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जैसे पद को छोड़कर सत्तासीन भाजपा के सिपाही बने दीपक बाली को लेकर अक्सर कहा जाता है कि अगली सुबह वह क्या करेंगे शायद किसी को नहीं पता। उत्तराखंड में हुए इस राजनीतिक घटनाक्रम के कई मायने निकाले जा रहे हैं और कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। आप पार्टी को लगे इस झटके के बाद नए सिरे से पार्टी को खड़ा करने चुनौती सामने आ गई है।भाजपा के लिए आम आदमी पार्टी से भारी भरकम प्रोफाइल पर काबिज दीपक बाली को अपने पार्टी में कहां फीट किया जाए इसके लिए कसरत करनी होगी। सूत्रों की माने तो सीएम पुष्कर सिंह धामी विधायक अरविंद पांडेय के वार्ता के बाद उनकी बीजेपी में ज्वाइनिंग कराई गई है। इसकी पूरी जानकारी कैलाश विजयवर्गीय समेत शीर्ष नेताओं को दे दी गई थी।
काशीपुर के बेहद सामान्य परिवार में जन्मे दीपक बाली छात्र जीवन से ही राजनीतिक ललक रखते हैं । उन्होंने छात्र संघ चुनावों में भागीदारी निभाई। इसके बाद राज्य आंदोलकारी के तौर पर 17 दिन जेल में भी बिताई। इसके बाद वह अपने पिता के के साथ व्यापार में जुट गए और एक दशक के अंदर उनका नाम बिजनेस क्षेत्र के बड़े नामों में शुमार हुआ।19 अक्टूबर 2020 को उन्हें आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने पार्टी ज्वाइंन कराया ओर इसके बाद वह पीछे मुड़कर नहीं देखा। तीन माह बाद ही उन्हें पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष का पद मिला तो इसके तीन माह बाद उन्हें पार्टी चुनाव प्रचार समिति का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। विधानसभा चुनावों में प्रदेश में मिली करारी हार के बाद भी अरविंद केजरीवाल का विश्वास उनपर कम नहीं हुआ और उनहें प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई।
बीजेपी की रणनीति ने एक तीर से दो निशाने लगाएं हैं, आप पार्टी में कर्नल अजय कोठियाल पर विधानसभा चुनाव का हार ठीकरा फोड़ा गया। यही कारण था कि नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के दौरान उनके नाम पर चर्चा तक नहीं की गई। अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे नेताओं ने इसके लिए दीपक बाली को उपयुक्त मानते हुए बड़ी जिम्मेदारी सौंपी।इस दौरान कर्नल कोठियाल से बीजेपी नेताओं ने संपर्क कर उनके साथ किए गए व्यवहार को अनुचित मानते हुए उन्हें पार्टी में आने का न्योता दिया गया। इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष पद पर आसीन हुए दीपक बाली के साथ भी आगामी पांच वर्षों के संघर्ष और परिणाम बेहतर न आने के डर को दिखाकर सत्ता खेमे में बुलाने की रणनीति कारगर साबित हुई।