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स्टार्टअप में पांचवें पायदान पर पहुंचा उत्तराखंड मोदी ने किया सम्मानित

स्टार्टअप में पांचवें पायदान पर पहुंचा उत्तराखंड मोदी ने किया सम्मानित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड  के स्टार्टअप गोहेम्प एग्रोवेचर्स को सम्मानित किया है .यह सम्मान उत्तराखंड की ओर से इंंडस्ट्रियल कैम्प (भांग की खेती)को बढावा देने के लिये दिया गया है .इसके साथ ही  स्टार्टअप  में उत्तराखंड देश भर में पांचवें पायदान पर पहुंच गया है . ग्लोबल हाउसिंग चैलेंज में देश भर से 80 स्टार्टअप ने भाग लिया था . इसका आयोजन आवास एवंं शहरी विकास मंत्रालय  भारत सरकार द्वारा किया गया था .

पौडी जिले के कंड्वाल गांव का युवा दंपति इसी की एक नजीर पेश कर रहा है। गोहेम्प एग्रोवेचर्स की स्टार्टअप  नर्मता कंड्वाल का कहना है की  उन्होने भांग से तरह-तरह के प्रोडक्ट बनाने शुरू कर दिए हैं। जैसे कि  भांग के बीज से साबुन, रेशे से धागा, कपड़े इत्यादि चीजें बना रहे हैं। वहीं, इसके साथ ही भांग के पौध से बड़े-बड़े ब्लॉक्स बनाए जा रहे हैं, जो आजकल भवनों के निर्माण के लिए इस्तमाल किए जाते हैं। इसके अलावा भांग से कई और तरह की वस्तुएं भी बनाई जा सकती हैं जोकि दैनिक जीवन में प्रयोग की जा सकती हैं।

आर्किटेक्ट गौरव दीक्षित ने बताया कि भांग के पौधे का इस्तेमाल पहले भी किया जाता रहा है। उन्होंने बताया कि एलोरा की गुफाओं में भी भांग के पेंट से ही पुताई की गई थी जो कि आजतक भी खराब नहीं हुई है। दरअसल एलोरा की गुफाओं से पहले अजंता की गुफाएं बनाई गई थीं, जहां पर बनाई गई मूर्तियों में कुछ ही सालों में फंगस लग गई थी, जिसे देखते हुए एलोरा की गुफाओं में मूर्ति बनाने से पहले भांग से पेंटिग की गई, यही कारण है कि आज भी एलोरा की गुफाओं में बनी मूर्तियां सुरक्षित हैं।

गौरव का कहना है कि भांग से बायोप्लास्टिक तैयार कर प्रदूषण पर भी रोक लगाई जा सकती है। बायोप्लास्टिक को आसानी के प्रयोग किया जा सकता है। गौरव अपने गांव में भांग के ब्लॉक बना रहे हैं, जिससे वे घर बनाकर होमस्टे योजना शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। गौरव ने कंडवाल गांव में एक लघु उद्योग लगाया गया है, जहां पर भांग से साबुन, शैंपू, मसाज ऑयल, ब्लॉक्स इत्यादि बनाए जा रहे हैं। उनका कहना है कि इन्हें बनाने के लिए यहां बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार दिया जा रहा है और महिलाएं अपने ही गांव में रोजगार पाकर खुश हैं।

देश में भवन निर्माण की तकनीक में समय-समय पर बदलाव आया है, लेकिन अब भविष्य में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। भांग के पौधे का उपयोग लोग केवल एक ही उद्देश्य से जानते हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि इसकी लकड़ी की कॉम्प्रहेंसिव स्ट्रेंथ कितनी अधिक होती है। भविष्य में भांग के पौधे से बना बिल्डिंग मटेरियल भी देखने को मिलेगा। हाल ही में हॉलैंड में इसके पौधे पर कई रिसर्च की गई है और इसके आधार पर बिल्डिंग मटेरियल भी तैयार किया है। हमारे यहां भी इस पर रिसर्च जारी है। रिसर्च में यह सिद्ध हो चुका है कि भांग के पौधे की लकड़ी काफी मजबूत होती है। इसका पौधा 7 से 7.5 फीट तक बड़ा होता है। यह बात स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर दिल्ली के प्रो. मनोज माथुर ने एक  सेमिनार में कही। उन्होंने कहा कि 2040 तक भवन बनाने का पूरा तरीका ही बदल जाएगा।

उत्तराखंड सरकार ने भी भांग के पौधे की खेती के लिए मंजूरी दी है.

 

 

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