देश में बिदेशियों के हिंदी सिखाने वाला सबसे पुराना स्कूल जो की उत्त्ताराखंड में स्थित है इस स्कूल मे हर साल 200 से ज्यादा विदेशी हिंडो सीखने आते हैं .यह लगभग 108 साल पुराना स्कूल है आगे उत्तराखंड में मसूरी के पास लैंडोर के भाषा स्कूल में दिख जाएंगे। इस स्कूल में गाना गाकर हिंदी सिखाई जाती है
आपको बता दें की इस स्कूल में हिंदी के अलावा पंजाबी, उर्दू, संस्कृत और गढ़वाली भाषा भी सिखाई जाती है लेकिन 80-90% हिंदी सीखने वाले ही होते हैं। फिलहाल यहां 17 शिक्षक हैं। वहां के शिक्षकों का कहना है जहां विदेशी हिंदी, उर्दू, संस्कृत सीखने आते हैं और तीन हफ्ते से तीन महीने तक यहां गुजारते हैं।
अंग्रेजों ने बनवाया था यह स्कूल
इस स्कूल की शुरुआत अंग्रेजों ने की थी उन्होंने मिशनरीज के लिए इस स्कूल की स्थापना की थी .अंग्रेजों के भारत से जाने के बाद भी कई साल तक सिर्फ मिशनरीज को ही दाखिला दिया जाता था। अब इस स्कूल का संचालन एक बोर्ड करता है। यहां आने वालों में शोधकर्ता, दूतावास में काम करने वाले कर्मचारी, राजदूत और फिल्मी सितारे होते हैं। दाखिला लेने वालों की उम्र 18 से लेकर 90 साल तक है। सबसे ज्यादा हिंदी सीखने वाले अमेरिका से होते हैं। निकोल इन दिनों इंग्लैड से यहां आकर हिंदी सीख रहे हैं।
साथ ही हिंदी सिखाने के लिए स्कूल में रिकॉर्डिंग की खास व्यवस्था है। छात्र इसी रिकॉर्डिंग से सीखते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि हम भाषा जितनी ज्यादा सुनते हैं, उतनी ही जल्दी सीखते भी हैं। आम स्कूल पहले लिखना-पढ़ना सिखाते हैं, लेकिन यहां पहले बोलना, फिर व्याकरण और फिर लिखना सिखाया जाता है। यही नहीं, शिक्षकों ऐसे तरीके ईजाद करने की कोशिश करते हैं, जिससे सीखना उबाऊ न हो। हर दिन 4 घंटे पढ़ाई होती है। हर घंटे की फीस 385 से 653 रुपए तक है।