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देहरादून की पायल ने अंटार्कटिका में रचा इतिहास, उत्तराखंड और देश का नाम किया रोशन

देहरादून की पायल ने अंटार्कटिका में रचा इतिहास, उत्तराखंड और देश का नाम किया रोशन

दून की पायल आर्य भारत के 38वें अंटार्कटिका अभियान में सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से शामिल हुईं। उन्हें पहली युवा महिला सर्वेयर बनने का गौरव मिला है। वह तीन माह का कठिन अभियान पूरा कर दून वापस लौट आई हैं। दून के शमशेरगढ़ (बालावाला) में रहने वाली पायल के पिता रिटायर्ड सूबेदार मेजर पीएल आर्य ने सेना के बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम (आईआईपी) में सेवाएं दीं। वह आईआईपी से भी रिटायर हो चुकी हैं। जबकि पायल की माता सुनीता आर्य गृहणी हैं।

आपको बता दें कि मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ एंड साइंस की ओर से हर साल अंटार्कटिका में वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक्सपीडिशन का आयोजन किया जाता है। इसमें देशभर के संस्थानों के वैज्ञानिक शामिल होते हैं। पायल ने मौसम के हिसाब से बेहद कठिन माने जाने वाली अंटार्कटिका अभियान में सर्वे ऑफ इंडिया के लिए मैत्री स्टेशन में कंटूर मैपिंग, जीपीएस मैपिंग जैसे कामों को सफलतापूर्वक अंजाम दिया।

उनका ये अभियान वहां के हिसाब से गर्मी के मौसम में था। फिर भी वहां का अधिकतम तामपान माइनस पांच डिग्री सेल्सियस तक रहा। आंखों के सामने हर दम बर्फ रहती थी। ऐसे में उन्हें मौसम की चुनौतियों से पार पाना पड़ा।

उनकी यात्रा 27 नवंबर को मुंबई से शुरू हुई, जहां से वह केपटाउन (दक्षिण अफ्रीका) होते हुए दो दिसंबर को अंटार्कटिका पहुंचीं। वह हाल ही में अभियान पूरा कर दून वापस लौटी हैं। उनके साथ देहरादून के ही ऑफिसर सर्वेयर संदीप तोमर, आईआरएस से सुब्रत कौशिक, डील से अशोक चौधरी और विट ओपन समेत देशभर के 40 वैज्ञानिक भी अभियान में शामिल रहे।

अंटार्कटिका जाना हर वैज्ञानिक का सपना होता है। मेरे सामने ये अभियान एक मौके की तरह आया और मैंने उसे लपक लिया। मेरा अनुभव काफी रोमांचक रहा।

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